मध्य प्रदेश सिंगरौली विकास दुबे।
रीवा-सिंगरौली रेल लाइन को लेकर प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने सोशल मीडिया पर विकास का ऐसा ढोल पीट दिया कि थोड़ी देर के लिए जनता को सचमुच लगने लगा — अब तो ट्रेन दौड़ने ही वाली है!
साहब ने बड़े गर्व से एक वीडियो शेयर किया जिसमें बताया गया कि रीवा-सिंगरौली रेल लाइन पर ट्रायल रन हो रहा है!
जनता ने देखा, वाह-वाह की बाढ़ आ गई, कुछ ने तो “अब तो विकास पटरियों पर दौड़ रहा है” तक लिख डाला।
लेकिन… सच्चाई जब सामने आई तो विकास की पटरी तो क्या, वीडियो की पटरी भी उखड़ गई!
वीडियो फर्जी निकला।
रीवा-सिंगरौली की जगह किसी और की रेल लाइन का वीडियो था, जिसे बिना जाँचे-परखे शेयर कर दिया गया।
और फिर वही पुराना खेल — चोरी पकड़ी गई, वीडियो चुपचाप डिलीट!
सवाल ये है — डिलीट करने से क्या जनता का भरोसा भी डिलीट हो जाएगा?
क्या इतना गैर-जिम्मेदार रवैया चल जाएगा?
क्या जनता को महज़ सोशल मीडिया की “झूठी रेल” दिखाकर बहलाया जाएगा?
???? जब जमीन पर काम न हो तो सोशल मीडिया पर “रेलगाड़ी” चलाना बहुत आसान है।
???? जब ट्रैक पर ट्रेन नहीं दौड़ रही तो फेसबुक पर वीडियो दौड़वा देना कितना आसान है!
लेकिन जनता अब 4G और 5G के ज़माने में है, साहब!
फर्जी वीडियो की असलियत पकड़ने में चुटकी भर वक्त लगता है।
तंज तो बनता है :
रेल लाइन नहीं बनी, लेकिन जुमलों की ‘हाई स्पीड ट्रेन’ जरूर चल रही है।
बजट नहीं आ पाया, लेकिन ट्वीट्स और फेसबुक पोस्ट ज़रूर छप रहे हैं।
असली काम में पसीना नहीं बहता, लेकिन फोटोशॉप और फर्जी वीडियो से पब्लिसिटी जरूर बटोरी जाती है।
जनता पूछ रही है :
किसने ये वीडियो भेजा था?
किसने बिना सत्यापन के शेयर करने की सलाह दी?
जब गलती सामने आई तो क्यों मुँह छुपाकर वीडियो डिलीट किया गया? माफ़ी क्यों नहीं मांगी?
अगर साहब में हिम्मत है तो इस फर्जीवाड़े के लिए जनता से माफी मांगिए।
कुर्सी पर बैठकर फर्जी वीडियो शेयर करने से “विकास” नहीं होता — भरोसा और उम्मीद बर्बाद होती है।
आख़िर में एक करारा तंज :
रेल तो क्या दौड़ेगी साहब — आपकी नीयत की पटरी ही गलत दिशा में दौड़ रही है।
जनता के भरोसे की ट्रेन पटरी से उतारना बंद करिए। वरना अगली बार जनता ही आपको “डिलीट” कर देगी।
