
दुद्धीचुआ परियोजना में संगठन का विरोध प्रदर्शन, समस्याओं के निराकरण की रखी माँग
परियोजना के दावों की खुली पोल, अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ ने उठाए गंभीर सवाल
सिंगरौली। एनसीएल के दुद्धीचुआ परियोजना में प्रबंधन जहां कागजों पर नियमों के तहत उद्योग के संचालन के लाख दावे कर रहा है, वहीं दूसरी ओर इन दावों की पोल खोलते हुए अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ ने कई गंभीर मुद्दों को सार्वजनिक किया है। संगठन का कहना है कि कोयला उद्योग की तमाम समस्याओं पर वर्षों से प्रबंधन को अवगत कराया जा रहा है, लेकिन अब तक किसी भी समस्या का ठोस समाधान नहीं किया गया। इसी के विरोध में संगठन ने दूधिचुआ एनसीएल गेट के सामने धरना-प्रदर्शन कर प्रबंधन को चेतावनी दी है कि अगर माँगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
नियमित भर्ती की माँग
संगठन ने कहा कि कोयला उद्योग अपने 50 वर्ष पूरे कर चुका है और उत्पादन लक्ष्य लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन नियमित कर्मचारियों की संख्या चिंताजनक रूप से घट रही है। एक समय उद्योग में 6.5 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे, जबकि आज संख्या घटकर महज 2 लाख रह गई है। सिंगरौली में भी कर्मियों की संख्या 1 लाख से घटकर 40 हजार तक हो गई और लगातार गिरती जा रही है। ऐसे में उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने के लिए नए गैर-अधिकारी कर्मियों की नियमित भर्ती तत्काल की जानी चाहिए।
ठेका प्रथा पर बढ़ती निर्भरता
संगठन ने आरोप लगाया कि उद्योग का अधिकतम कार्य अब ठेका और आउटसोर्सिंग पद्धति से कराया जा रहा है। इससे न केवल दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है, बल्कि श्रमिकों के साथ शोषण भी हो रहा है। ठेका श्रमिकों को न प्रशिक्षण दिया जाता है, न ही सुरक्षा संबंधी साधन उपलब्ध कराए जाते हैं। संगठन ने माँग रखी कि कोयला उत्पादन में नियमित कर्मचारियों की भागीदारी न्यूनतम 50 प्रतिशत सुनिश्चित की जाए।
ठेका मजदूरों के लिए सुविधाएँ
कोल इंडिया, सिंगरौली में कार्यरत सभी ठेका मजदूरों को एचपीसी वेजेस, सामाजिक सुरक्षा, चिकित्सा सुविधा, आवासीय व्यवस्था, जॉब सुरक्षा, सालाना बोनस, सीएमपीएफ भुगतान जैसी मूलभूत सुविधाएँ तुरंत लागू की जाएं। संगठन ने कहा कि उत्पादन लक्ष्य बढ़ाने में ठेका मजदूरों का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन उनके अधिकारों की अनदेखी दुर्भाग्यपूर्ण है।
सुरक्षा नियमों की अनदेखी
कोयला खदानों में सुरक्षा नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। संगठन का आरोप है कि उत्पादन लक्ष्य पूरा करने की जल्दबाजी में प्रबंधन सुरक्षा उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराता। इससे दुर्घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। मजदूर संघ ने सुरक्षा नियमों का शत-प्रतिशत पालन कराने की माँग की।
प्रदूषण और असुरक्षित माइनिंग
संगठन ने कहा कि अंधाधुंध उत्पादन लक्ष्य के कारण खदान क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ रहा है और खतरनाक परिस्थितियों में खनन कार्य कराया जा रहा है। इसका खामियाजा आसपास रहने वाले लोग भुगत रहे हैं, जो प्रदूषणजनित बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। संगठन ने मंत्रालय से माँग की कि वार्षिक उत्पादन लक्ष्य तय करने से पहले विशेषज्ञों द्वारा सर्वेक्षण करवा कर जनशक्ति और उपकरणों की उपलब्धता का आकलन किया जाए।
सेवानिवृत्त कर्मियों की समस्याएँ
सीएमपीएफ संस्थान पर भी संगठन ने गंभीर आरोप लगाए। कहा गया कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मियों को पीएफ, पेंशन और अन्य भुगतानों के लिए महीनों कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं। भुगतान में देरी और न्यूनतम पेंशन न मिलने से सेवानिवृत्त कर्मी परेशान हैं। संगठन ने माँग की कि सेवानिवृत्त कर्मियों को सभी भुगतान सेवानिवृत्ति के दिन ही कर दिए जाएं और न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये प्रति माह सुनिश्चित की जाए।
संगठन ने आश्चर्य जताया कि देश के इतने बड़े पीएसयू के बावजूद कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों के पास अपना मल्टी-स्पेशालिटी अस्पताल नहीं है। जबकि इलाज के लिए निजी अस्पतालों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। संगठन ने सभी कंपनियों में मल्टी-स्पेशालिटी अस्पताल बनाने की माँग की।
कोल उद्योग में बढ़ती महिला कर्मियों की संख्या को देखते हुए संगठन ने कार्यस्थल पर प्रसाधन गृह, क्रेच रूम, पेयजल और सुरक्षा की सुविधाएँ उपलब्ध कराने की माँग की। साथ ही भूमि अधिग्रहण नीति को पूरे कोल इंडिया में समान और सरल बनाने की अपील की।
संगठन ने स्पष्ट कहा कि एमडीओ, 100% आउटसोर्सिंग और प्रॉफिट शेयरिंग जैसी नीतियाँ उद्योग के निजीकरण को बढ़ावा दे रही हैं। इस पर तुरंत रोक लगाने की माँग की गई।
समितियों की बैठकें नियमित करने की माँग
कोयला उद्योग में औद्योगिक संबंधों के लिए बनाई गई एपीएक्स जेसीसी, जेसीसी, वेलफेयर और सेफ्टी समितियों की बैठकें नियमित नहीं हो रही हैं। संगठन ने कहा कि इन बैठकों के जरिए लिए गए निर्णयों का क्रियान्वयन प्रबंधन द्वारा सुनिश्चित किया जाए।
संगठन का चेतावनी भरा रुख
अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ ने स्पष्ट कर दिया कि यदि प्रबंधन ने समय रहते समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। संगठन का कहना है कि यह केवल मजदूरों का नहीं बल्कि पूरे कोयला उद्योग और उससे जुड़ी जनता का भविष्य का सवाल है।