
मध्य प्रदेश सिंगरौली विकास दुबे।
सिंगरौली । शासकीय भूमि, वन भूमि व एग्रीमेंट भूमि पर बसे लोगों की मांगों को लगातार दरकिनार कर रहा है एनसीएल प्रबंधन। अंततः आंदोलन के बाद नींद से जागा। एनसीएल प्रबंधन ने इसकी उम्मीद नहीं की थी की मोरवा के लोग इतना बड़ा आंदोलन कर एनसीएल को घेर लेंगे।
गौरतलब है कि इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पूर्व विधायक रामलल्लू बैस को शायद एनसीएल प्रबंधन ने कम आंकने की गलती कर दी। क्योंकि 18 मई को हुई जनसभा में ही यह बात साफ कर दी गई थी कि यदि एनसीएल प्रबंधन इस बारे में कोई दिलचस्पी नहीं दिखता तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। आंदोलन के सूत्रधार मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अमित तिवारी ने पत्र जारी कर और बैठक करके भी एनसीएल को चेताया था, परंतु आंदोलन से पूर्व एनसीएल प्रबंधन शासकीय भूमि पर बसे लोगों पर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाते हुए जिला कलेक्ट्रेट में हुई बैठक का हवाला देकर पल्ला झाड़ने में लगा था। परंतु रामलल्लू बैस समेत अमित तिवारी एवं विस्थापन संघर्ष समिति के अध्यक्ष रंजीत शर्मा व राजेश गुप्ता के आह्वान पर हजारों की संख्या में लोग आंदोलन में बैठे और एनसीएल को मौखिक रूप से 12 जून को बैठक की बात माननी पड़ी।
इसके साथ ही आंदोलन के दिन 5 जून की शाम ही एनसीएल ने संघर्ष समिति को पत्र जारी कर 12 तारीख के लिए आधिकारिक तौर पर आमंत्रित कर दिया। समिति द्वारा आगामी बैठक में पट्टे धारकों के तर्ज पर शासकीय भूमि पर बसे लोगों को भी संपूर्ण लाभ दिलाने का प्रयास किया जाएगा। इधर संघर्ष समिति के नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि बैठक में उनकी 10 सूत्री मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगामी दिनों में भी और बड़ा आंदोलन करने के लिए वे बाध्य होंगे।