7 मई को मॉक ड्रिल के तहत युद्ध का सायरन बज सकता है. यह सायरन प्रशासनिक भवनों, पुलिस मुख्यालय, फायर स्टेशन पर लगाए जाते हैं. सायरन की आवाज 2-5 किलोमीटर तक सुनाई दे सकती है.
अगर 7 मई को अचानक कोई तेज और डरावनी सायरन की आवाज सुनें तो घबराएं नहीं. यह कोई आपात स्थिति नहीं, घड़ी में सात बजते ही यूपी में बजेंगे सायरन, छा जाएगा अंधेरा, जानें- आपको क्या करना है?गृह मंत्रालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में युद्ध से बचाव के लिए एक बार फिर मॉक ड्रिल की तैयारी शुरू हो गई है. 7 मई, बुधवार को पूरे प्रदेश में यह अभ्यास किया जाएगा, जिसमें आम नागरिकों को हवाई हमले, ड्रोन अटैक और मिसाइल हमले जैसी स्थितियों से बचाव की जानकारी दी जाएगी.
यह ड्रिल करीब 54 वर्षों बाद हो रही है. इससे पहले 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इस तरह की मॉक ड्रिल कराई गई थी. अब दोबारा, केंद्र सरकार ने राज्य को निर्देशित किया है कि संभावित युद्ध या आपात स्थिति के समय नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए.
ब्लैकआउट की भी होगी तैयारी
इस मॉक ड्रिल के दौरान ब्लैकआउट यानी पूर्ण अंधकार की रणनीति भी लागू की जाएगी. इसका मतलब है कि हमले के समय सभी घरों, दफ्तरों और सार्वजनिक स्थानों की लाइटें बंद कर दी जाएंगी ताकि दुश्मन की नजर से बचा जा सके. साथ ही, चेतावनी के लिए सायरन बजाए जाएंगे. सायरन सुनते ही लोगों को सतर्क होकर सुरक्षित स्थानों-जैसे बंकर, सुरक्षित कमरे या खुले स्थान से दूर रहना होगा.
प्रशिक्षण का हिस्सा होंगे आम लोग और छात्र
नागरिक सुरक्षा विभाग द्वारा इस अभ्यास में आम नागरिकों, खासकर छात्रों को सिविल डिफेंस के बुनियादी कौशल सिखाए जाएंगे. इनमें प्राथमिक चिकित्सा, आग बुझाना, संचार के साधनों का उपयोग, शेल्टर में जाना और दूसरों की मदद करना शामिल है.
प्रदेश के 15 जिलों में है सिविल डिफेंस का नेटवर्क
नागरिक सुरक्षा विभाग के डीजी अभय प्रसाद ने बताया कि राज्य के 15 जिलों में सिविल डिफेंस विभाग के कार्यालय हैं, जो कुल 26 जिलों को कवर करते हैं. इन जिलों में प्रमुख तौर पर लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, मेरठ, गोरखपुर और प्रयागराज जैसे शहर शामिल हैं.
लोगों के मन में आ रहे ये सवाल
इधर लोगों के मन में इस बात को लेकर जिज्ञासा है कि War मॉक ड्रिल में होगा क्या? लोगों को किस तरह से अलर्ट रहना होगा. लोग ये भी सवाल पूछ रहे हैं कि क्या 7 मई को ऑफिस जाना होगा या घर रहना होगा? स्कूल खुले रहेंगे या बंद होंगे? पब्लिक को इस मॉक ड्रिल में कैसे हिस्सा लेना होगा? आइये आपको इन्हीं सब सवालों के विस्तार से जबाव देते हैं.
डीजीपी प्रशांत कुमार ने क्या बताया?
यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने मंगलवार को बताया, “हमें सात मई को मॉक ड्रिल को लेकर केंद्र सरकार से निर्देश मिले हैं. (ड्रिल के लिए राज्य के) उन्नीस जिलों की पहचान की गई है.’ उन्होंने कहा कि इन जिलों को विभिन्न श्रेणियों में रखा गया है/
डीजीपी ने कहा, “इन 19 में से एक जिले को ‘ए’ श्रेणी में, दो को ‘सी’ श्रेणी में और बाकी को ‘बी’ श्रेणी में रखा गया है. हालांकि, स्थानीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि आपातकालीन स्थिति में एकीकृत प्रतिक्रिया के लिए नागरिक और पुलिस प्रशासन, अग्निशमन सेवाओं और आपदा प्रतिक्रिया बल सहित सभी कार्यक्षेत्रों में एक संयुक्त अभ्यास किए जाएं.”
यूपी के कौनसे जिले 3 कैटगरी में बांटे गए?
बता दें कि साल 2010 का गृह मंत्रालय का एक नोटिफिकेशन सामने आया है, जिसमें जिलों को 3 कैटेगरी में बांटा गया था. इस नोटिफिकेशन में यूपी के 19 जगहों का जिक्र है. इसमें A श्रेणी में बुलंदशहर के नरोरा को रखा गया है. नरोरा को इसलिए A श्रेणी में रखा गया है क्योंकि यहां अटॉमिक पावर प्लांट है. इसलिए सुरक्षा के मद्देनजर नरोरा अति संवेदनशील इलाकों में आता है. B कैटगरी में आगरा, प्रयागराज, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, मथुरा, मुरादाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, बक्शी का तालाब, पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर और सरवासा को रखा गया है. वहीं, C कैटेगरी में बाग्मत और मुजफ्फरनगर शामिल हैं.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने देशभर के 244 जिलों में मॉक ड्रिल का आदेश दिया है. यूपी के 19 जिलों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है और 7 मई को यह ड्रिल होगी.
पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल पनपा हुआ है. 22 अप्रैल को आतंवादियों ने पहलमाग में 26 निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. इसी के बाद से भारत एक के बाद एक कड़े से कड़े एक्शन पाकिस्तान के खिलाफ ले रहा है. इसी बीच भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने देश के 100 सबसे ज्यादा जोखिम संभावित जिलों के अलावा 244 जिलों में मॉक ड्रिल करने का आदेश जारी किया है. इसी कड़ी में यूपी में भी बुधवार यानी 7 मई को मॉकड्रिल आयोजियत होगी.
क्या है युद्ध सायरन का मकसद?
युद्ध के दौरान एक तेज़ आवाज़ वाला सायरन बजाया जाता है ताकि आम लोग समझ सकें कि खतरा आस-पास है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य होते हैं:
हवाई हमले की चेतावनी देना
ब्लैकआउट एक्सरसाइज करना
सिविल डिफेंस की तैयारियों की जांच करना
रेडियो और एयरफोर्स नेटवर्क को एक्टिव करना
कंट्रोल रूम से युद्ध मोड में तालमेल करना
युद्ध सायरन को कैसे पहचानें?
युद्ध के समय बजने वाला सायरन एक आम हॉर्न या एंबुलेंस की आवाज़ से बिल्कुल अलग होता है। इसकी विशेषताएं इस तरह होती हैं:
यह 120 से 140 डेसिबल की तेज़ आवाज़ में बजता है
2 से 5 किलोमीटर दूर तक यह आवाज़ सुनाई देती है
इसका स्वर एक ही लय में बहुत तेज़ और तीखा होता है
यह सामान्य आपदा अलर्ट या एंबुलेंस की आवाज़ से अलग होता है
इसका उद्देश्य होता है लोगों को तत्काल सतर्क करना
क्यों ज़रूरी है युद्ध सायरन की जानकारी?
कई बार जब कोई आपात स्थिति आती है तो लोग समझ ही नहीं पाते कि ये सायरन किसलिए बज रहा है। इसी भ्रम को दूर करने के लिए युद्ध सायरन की पहचान करवाना ज़रूरी है। इससे:
आम लोग तेज़ी से प्रतिक्रिया दे सकते हैं
अफरा-तफरी और भय का माहौल नहीं बनता
सरकारी एजेंसियों और नागरिकों के बीच सहयोग बढ़ता है
जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है
युद्ध की आशंका में शांति की तैयारी
हालांकि अभी युद्ध की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन तैयारी शांति बनाए रखने के लिए होती है। युद्ध सायरन और मॉक ड्रिल्स सिर्फ संभावनाओं को लेकर सतर्कता बरतने का संकेत हैं। ऐसे में आम जनता की ज़िम्मेदारी है कि वे इन अभ्यासों को गंभीरता से लें और खुद को, अपने परिवार को सुरक्षित रखने की तैयारी करें