
खुटार गांव में चल रहे अवैध क्लिनिक को प्रशासन ने किया सील
झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से गर्भवती महिला की हुई थी मौत
सिंगरौली ज़िले के खुटार गांव में झोलाछाप डॉक्टर की घोर लापरवाही से एक 9 महीने की गर्भवती महिला की दर्दनाक मौत ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। जब मामला सामने आने के बाद शासन-प्रशासन हरकत में आया और जांच उपरांत कार्रवाई करते हुए क्लिनिक को सील कर दिया गया जहां बताया गया कि खुटार गांव निवासी गुड्डी रावत नामक महिला नौ महीने की गर्भवती थी। दो महीने पहले वह इलाज के लिए स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर संजू विश्वास के पास गई थी।
आरोप है कि संजू विश्वास ने इलाज के नाम पर गैरकानूनी तरीके से एक ही बोतल में 6-7 इंजेक्शन मिलाकर गर्भवती महिला को लगाया। इस खतरनाक इलाज का नतीजा यह हुआ कि कुछ ही समय बाद महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की मौत हो गई इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए डॉ. अभयरंजन सिंह के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 26 अगस्त 2025 को मौके पर पहुंचकर क्लिनिक की जांच की। जांच में पाया गया कि संजू विश्वास का पंजीयन अवैध था और उसके पास बड़ी मात्रा में एक्सपायरी दवाइयां व खतरनाक इंजेक्शन बरामद हुए। इन्हीं सब सबूतों के आधार पर प्रशासन ने संजू विश्वास के क्लिनिक को तुरंत प्रभाव से सील कर दिया। डॉ. अभयरंजन सिंह ने बताया कि जांच के दौरान जो दवाइयां और इंजेक्शन बरामद हुए हैं, उनका उपयोग इंसान की जान के लिए सीधा खतरा साबित हो सकता है। इस तरह के लापरवाह इलाज ने एक निर्दोष महिला और उसके अजन्मे शिशु की जान ले ली, जो कि बेहद गंभीर अपराध है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पुलिस प्रशासन इस मामले में कठोर कदम उठाते हुए संजू विश्वास को गिरफ्तार कर उचित धाराओं के तहत कार्रवाई करेगा या नहीं या नहीं यह तो अब देखने वाली बात यह है ग्रामीणों का कहना है कि अगर इस तरह के झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आगे भी कई निर्दोष लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। वहीं ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल कसी जाए और ग्रामीण क्षेत्रों में योग्य व पंजीकृत डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। सिंगरौली में झोलाछाप डॉक्टरों का इलाज लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है। गुड्डी रावत और उसके अजन्मे बच्चे की मौत इस बात का ताज़ा उदाहरण है। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती बरतते हैं और दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाते हैं या नहीं।