मऊगंज जिले के सबसे बड़ी मस्जिद जामा मस्जिद के इमाम आरिफ मौलाना ने बताया कि आज की रात कितनी महत्वपूर्ण रात मुस्लिम समुदाय की है।
संवाददाता मुस्ताक अहमद
रमजान मुबारक का तीसरा असर ढलान पर है तीसरी अशरे की 27वीं शब शबे ए कद्र के रूप में मनाया जाता है। इसी मुकद्दस रात में कुरान भी मुकम्मल हुआ रमजान के तीसरे आसरे की पहुंच पाक रातों में शब ए कद्र को तलाश किया जाता है यह रात है 21वीं 23वीं 25वीं 27वीं और 29वीं रात 27वीं इबादत की रात होती है 27 दिन सबको उन अधिकतर मस्जिद में जहां तरबी की नमाज अदा की गई है वहां कुरान हाफिज का सम्मान किया जाता है साथ ही सभी मस्जिदों में नमाज अदा कराने वाले इमाम साहेबान का भी मस्जिद कमेटी की तरफ से इनाम इकराम देकर इस्तकबाल किया जाता है।
शबे कद्र को रात भर इबादत के बाद मुसलमान अपने रिश्तेदारों अजीजो आक़रीब की कब्रों में जाते हैं। सुबह सुबह फातिहा पढ़कर उनके लिए दुआ मांगते है।
इस रात में अल्लाह की इबादत करने वाले मोमिन के दर्ज बुलंद होते हैं गुनाहों की तौबा करने वाले को बक्श दिया जाता है दोजख की आग से मोमिन बचने की तौबा करता है। वैसे तो पूरे माहे रमजान में बरकतों और रहमतों की बारिश होती है ये अल्लाह की रहमत का ही सिला है की रमजान में एक नेकी के बदले 70 नोकिया नामे अमल में जुड़ जाती है लेकिन शब ए कद्र विशेष रात में इबादत तिलावत और दुवाएं कुबूल व मकबूल होती है।
अल्लाह ताला की बारगाह में रो-रो कर अपनी गुनाहों की माफी तलब करने वाले के गुनाह माफ हो जाते हैं। इस रात खुद ताला नेक व जायज तमन्नाओं को पूरी फरमाता है रमजान की विशेष तराबी पढ़ाने वाले हाफिज साहबान इसी सब में कुरान मुकम्मल करते हैं जो तरबी की नमाज अदा करने वाले को मुंह जबानी सुनाया जाता है। इसके साथ घरों में क़ुरआन की तिलावत करने वाली मुस्लिम महिलाएं भी मुकम्मल करती है।
आज मऊगंज जामा मस्जिद में भी इमाम आरिफ रजा के द्वारा नमाज पढ़ाई जाएगी।