
रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए एक पटवारी और उसके साथी को पांच-पांच साल के सश्रम कारावास की सजा
सिंगरौली। लोकायुक्त के एक पुराने ट्रैप मामले में विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। सिंगरौली में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए एक पटवारी और उसके साथी को पांच-पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) खालिद मोहतरम अहमद ने 20 अगस्त 2025 को सुनाया।
यह घटना दिसंबर 2014 की है, जब लोकायुक्त पुलिस ने पटवारी विनयभूषण जौहरी और उसके सहयोगी रामतीरथ शाह को 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। शिकायतकर्ता अशोक कुमार गुप्ता ने अपनी जमीन का नामांतरण और ऋण पुस्तिका बनवाने के लिए पटवारी से संपर्क किया था। पटवारी ने इस काम के बदले 1 लाख रुपये की मांग की।
शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक, रीवा को इसकी लिखित शिकायत दी। शिकायत के सत्यापन के लिए, लोकायुक्त ने एक डिजिटल वॉयस रिकॉर्डर का इस्तेमाल किया, जिसमें पटवारी और शिकायतकर्ता के बीच रिश्वत की बातचीत रिकॉर्ड हो गई। इसके बाद, लोकायुक्त ने 11 दिसंबर 2014 को दधिवाल शाह के मकान, बिलौंजी स्थित पटवारी के निजी कार्यालय में एक सफल ट्रैप कार्यवाही की और दोनों आरोपियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।
मामले की सुनवाई के बाद, अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषी पाया
मुख्य आरोपी पटवारी विनयभूषण जौहरी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा-7 और 13(1)(डी)/13(2) के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा-120बी के तहत 5 साल का सश्रम कारावास और 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
सह-आरोपी रामतीरथ शाह को भी उन्हीं धाराओं के तहत 5 साल का सश्रम कारावास और 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
इस पूरे मामले में, शासन की ओर से अभियोजन अधिकारी श्रीमती अर्चना पटेल (एडीपीओ) ने जोरदार पैरवी की। यह फैसला सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश है।