मध्य प्रदेश सिंगरौली विकास दुबे।
अमूमन हर परिषद बैठक में हर पार्षद परिषद में उम्मीद के साथ अपनी समस्या उठाता है, और परिषद में उस पर निर्णय भी होता है, लेकिन परिषद के बाद उसे पूरा कराने के लिए न अध्यक्ष कोसिस करते है, न आयुक्त उसे पूरा करते है,
विशेष बैठक में पार्षद के लेटर पैड दुरूपयोग पर थाने में करना था शिकायत l
परिषद लेटर पैड दरुपयोग में सभी पार्षदों ने एक साथ एक आवाज में जाँच व कार्यवाही की मांग की थी जिसमे पीठासीन अधिकारी द्वारा आयुक्त को भी निर्देश दिया गया था जाँच कराने के लिए साथ ही पार्षदों को भी कोतवाली में शिकायत करना था, अगले दिन पार्षद निगम में पहुंचे भी लेटर भी टाइप करवाए और निगम अध्यक्ष से बात करने पर उन्हें कुछ टाइम रुकने का निर्देश प्राप्त हुआ, लेकिन अध्यक्ष उस दिन शाम 6 बजे निगम कार्यालय पहुंचे और बाद में शिकायत करने बोला गया इसके बाद मामला सब रफा दफा. निगम के सबसे बड़े षड़यंत्र कारी जो हर कर्मचारी की फर्जी शिकायत करवा रहा उसे बचाने अपनी साख़ गिरा बैठे, ऊपर बाले के यहां देर है अंधेर नहीं, यह बात षड़यंत्र कारी और चंद सिक्कों में अपना ईमान बेचने वाले को ध्यान में रखना चाहिए,
विशेष बैठक में 15 पार्षद जुटाने में अध्यक्ष के छूटे पसीने..
राज्य सरकार, केन्द्र सरकार द्वारा चलाये जारहे योजनाओं के समीक्षा के लिए विशेष बैठक 6 जून को बुलाया गया था लेकिन बैठक सुरु करने के लिए 15 पार्षदों की आवश्कता थी, काफी “जद्दोजहद” के बाद बड़ा मुश्किल से फोन से बुलाने के बाद पहुंचे, अगर पीठासीन अधिकारी अपने वसूलो से समझौता कर अधिकारियों के इशारे पर काम करते रहेंगे तो आगे अकेले ही परिषद का संचालन करना पड़ेगा
भाजपा के 23 पार्षद फिर भी 15 पार्षद नहीं जुट पाए..
निगम अध्यक्ष से पार्षदों की नाराजगी इस बात का प्रमाण है की विशेष बैठक में भाजपा के मात्र 5-6 पार्षद ही पहुंचे बाकि बिपक्षियों ने लाज बचाया, अध्यक्ष को परिषद में लिए निर्णय व दिए आदेश पर कायम रहना चाहिए ,अगर इसीतरह अपने बातो से पलटी मारते रहे तो आगे का डगर बड़ा मुश्किल है, अंदर -अंदर महौल बड़ा बन रहा,अध्यक्ष जी पार्षदों की सुनो अधिकारी आएंगे अपना स्वार्थ सिद्ध करेंगे और निकल लेंगे एक बार विशेष बैठक को स्मरण जरूर कीजियेगा,
